जिन खोजा तिन पाइयां

इस ब्लॉग में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर देने की कोशिश की जाएगी। हिन्दी साहित्य से जुड़े कोर्सेस पर यहाँ टिप्पणियाँ होंगी,चर्चा हो सकेगी।

Tuesday, 13 July 2010

चन्द तस्वीरें .............

तस्वीरों में विभाग ....


हिन्दी विभाग, गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद



हिन्दी-दिवस २००९- अस्मिता की अहमदाबाद शाखा का शुभारंभ

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परिमल त्रिवेदी द्वारा उद्घाटन

कुलपति डॉ.त्रिवेदी एवं भाषा-साहित्य भवन के निदेशक आचार्य वसंत भट्ट



दीप प्रज्जवलन - साथ में अस्मिता की उपाध्यक्षा नीलम कुलश्रेष्ठ


कार्यक्र की मुख्य अतिथि डॉ. मीरा वर्मा





स्वागत करते हुए हिन्दी विभाग की अध्यक्षा

डॉ. रंजना अरगडे


कार्यक्रम में शामिल कवियित्रियाँ, विभाग के विद्यार्थी एवं अतिथि गण
हिन्दी विभाग पहले से ही नई-नई और सर्वथा बेहतर कार्यक्रमों का आयोजन करता रहा है। पिछले साल हिन्दी दिवस के अवसर पर स्त्री-रचनाकारों ने कवियाएं पढ़ी गईं तथा अहमदाबद में यह इस तरह का यह पहला अवसर था।















आभार व्यक्त करते हुए विभाग की व्याख्याता डॉ. निशा रम्पाल
15 जुलाई 2010

नए पाठ्यक्रम के नूतन विद्यार्थियों का स्वागत है !

हाँ, यह एक नई शुरुआत है।
अब तक आप केवल सुनते थे, हम अध्यापक बोलते थे। परन्तु इस नए पाठ्यक्रम में आपको सुनने के साथ-साथ केवल बोलने की ही नहीं, सोचने और सृजन करने की ज़मीन भी मुहैय्या होगी। आप जितनी सतर्कता से यह काम करेंगे उतना ही आपको लाभ होगा। लाभ केवल भीतरी और गहरा ही नहीं प्रत्यक्ष और सतह पर भी दिखाई देगा। लेकिन इसके पहले आपको इस नए पाठ्यक्रम की उन विशेषताओं को जान लेना होगा जिसके अन्तर्गत यह पाठ्यक्रम बना है। तो चलिए , इस नए चुनाव आधारित सेमिस्टर पद्धति के देशकाल में घूम आएँ........
हिन्दी का हमारा यह पाठ्यक्रम पूरे भारतवर्ष की (लगभग) आपको सैर कराएगा। यह आपको सुदूर दक्षिण में तमिळनाडु...कर्णाटक से उत्तर-पूर्वी भारत, बंगाल, महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि समन्दर पार चीन, नोर्वे तथा वहाँ जहाँ हमारे ही पूर्वजों के मुख उकेरे गये हैं (शमशेर बहादुर सिंह की पंक्ति) ऐसे छोटे से टापू पर स्थित मॉरिशस की यात्रा भी करवाएगा। यह आपके साहित्यिक संस्कारों को सुदृढ ही नहीं करेगा बल्कि आपको ऐसे कौशलों से अवगत भी कराएगा कि जीवन में आप अपनी एक पहचान भी बना पाएंगे--- बशर्ते आप कुछ बातों को गंभीरता से लें और कुछ बातों की गंभीरता समझेः
अब आराम के दिन लद गए मेरे युवा साथियो ! अब तो मेहनत के दिन आए हैं, आने वाले संघर्ष के दिन एक महीन पर्दे के पीछे से झांक रहे हैं। उनका सामना करने के लिये आपको तैयार होना पड़ेगा। इसीलिए आपको दो-तीन बातें गांठ में बाँध लेनी पडेंगी ताकि सनद रहे और वक्त पे काम आए- (शमशेर बहादुर सिंह की पंक्ति)
पहली बात हैः आपकी हाजरी नियमित होनी चाहिये।
दूसरी बात हैः आपको पूरी सक्रियता के साथ अब पढ़ना पड़ेगा।
तीसरी बात हैः आपको बोलना पड़ेगा।
अगर आप में संकोच होगा तो उसे किसी पेड़ की खोह में रख आना पड़ेगा। यह पाठ्यक्रम इसकी भूमिका बनाएगा।
इस पाठ्यक्रम को इस तरह से आयोजित किया गया है किः
यह एक ऐसा पाठ्यक्रम है जो अब तक की हमारी पाठ्यक्रम संबंधी सोच से गुण तथा परिमाण की दृष्टि में कुछ अधिक बड़ा है।
यह पाठ्यक्रम आपकी बौद्धिक और सर्जनात्मक क्षमता को विकसित करेगा।
अगर अब तक ऐसा नहीं हुआ है आपके साथ, तो निश्चय ही इसका एक वातावरण निर्मित करेगा।
इस पाठ्यक्रम के कोर्सेस को अगर आप ध्यान दे कर पढेंगे तो आपको पता चलेगा कि इसमें पूरे भारत की सभी महत्वपूर्ण भाषाओं के साहित्य का समावेश किया गया है आज जब राष्ट्र के, राष्ट्रीयता के स्मरण-विस्मरण के मायने बदल गये हैं, सामाजिक समता को हम केवल ऊपर-ऊपर से जानते है, उसकी जड़ों का हमें परिचय नहीं है; तब यह आवश्यक है कि हम अपनी व्यापक साहित्यिक परंपराओं में से ऐसे पाठ ढूँढें कि इन सब बातों की तरफ हमारा ध्यान जाए।
यह पाठ्यक्रम इस बात को भी रेखांकित करता है कि भाषा-साहित्य के पाठ जीवनमूल्यों के साथ-साथ आजीविका के लिये भी अवसर प्रदान कर सकता है- बशर्ते आप स्वयं तैयार हों!
तो बस अब तैयार हो जाइए !
पुनः शुभकामनाएं !