जिन खोजा तिन पाइयां

इस ब्लॉग में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर देने की कोशिश की जाएगी। हिन्दी साहित्य से जुड़े कोर्सेस पर यहाँ टिप्पणियाँ होंगी,चर्चा हो सकेगी।

Friday, 19 August 2011

अपरिचित मगर उपयोगी

कोर्स ५०३ में आप लोगों को काफी दिक्कतें आ रही होंगी। जैसा कि अरुणा माली ने अपनी दिक्कतें बताईं। परन्तु हिन्दी कंप्यूटिंग वाले यूनिट को छोड़ दें तो इस पर बहुत सामग्री मिलती है। आपके अध्यापक भी यह सामग्री आपको मुहैया करा सकते हैं। जहाँ तक ब्लॉग वाला कंपोनंट तथा एक्सेल वाला कंपोनंट है जब हम अपने यहाँ इस पर कोई विशेष व्याख्यान रखेंगे तब आपको ब्लॉग पर सूचना मिल जाएगी। इस के अलावा आप अपने अध्यापकों से कह सककते हैं कि वे कॉलेज में इसके लिए विशेष व्याख्यान का आयोजन करें। इस विषय के विशेषज्ञ यहीं अहमदाबाद में हैं। यह कोर्स अपरिचित अवश्य है पर आज के समय को देखते हुए बहुत ही उपयोगी है।

Sunday, 14 August 2011



मेरे लिए यह बहुत ख़ुशी की बात है कि आपने विज्ञापन बनाने में रुचि ली। भाषा भवन के हिन्दी विभाग की छात्रा हिना कापडिया ने जूठन पर एक विज्ञापन बनाया। यह सामाजिक जागृति से जुड़ा विज्ञापन है। जूठन दलितों के प्रति अत्याचार और उनके संघर्ष को उद्घटित करती आत्मकथा है। इसमें निहित चुनौति का स्वर विज्ञापन में आया है। सवर्णों के दलितों के प्रति व्यवहार को हिना ने एक चित्र के द्वारा स्पष्ट किया है।


बधायी हिना कि तुम अब इस फॉर्मेट में काम कर रही हो।


इस निज्ञापन का विस्तृत आकार ब्लॉग में नीचे की ओर दिया है। आप स्क्रॉल करेंगे तो उस विज्ञापन को देख पाएँगे।


पुनः बधायी