इस ब्लॉग पर विद्यार्थियों के साथ संवाद होगा। हिन्दी साहित्य से जुड़े अभ्यासक्रमों में जो कुछ वर्ग में अध्यापन के दौरान अनकहा, अनसमझा रह जाएगा उस पर बातचीत होगी। कुछ अतिरिक्त जानकारी भी।
जिन खोजा तिन पाइयां
इस ब्लॉग में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर देने की कोशिश की जाएगी। हिन्दी साहित्य से जुड़े कोर्सेस पर यहाँ टिप्पणियाँ होंगी,चर्चा हो सकेगी।
Wednesday, 21 July 2010
Monday, 19 July 2010
मुश्किल कैसे हो दूर
विद्यार्थी के रूप में हमारी सबसे बड़ी समस्या यही होती है कि एम.ए में प्रवेश लेने के बाद उस पाठ्यक्रम में अपने आप को स्थिर करते-करते लम्बा समय निकल जाता है । जब तक होश आता है , साथ-साथ परीक्षाएं भी आ ही जाती हैं। वर्षीय पद्धति में हमारे पास समय था, पर अब नहीं है। अतः जैसे फास्ट फुड होता है, आप भी इस पाठ्यक्रम में अपने आप को जल्दी ही व्यवस्थित कर लीजिए। इसी हेतु से हमने पहले की कुछ पोस्ट लिखी थी।
पहला काम आप यह कीजिए कि पहले दिन क्लास में आपको पाठ्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी। पर यह ज़रूरी नहीं कि आप ने सारी ग्रहण कर ही ली होगी। जहाँ आपको समझ में न आया हो, आप निःसंकोच अपने अध्यापकों से पूछ लीजिए। अगर यहाँ आप चूके तो समझ लीजिये कि आगे दिक्कतें आएंगी।
मुझे उम्मीद है आप अवश्य दो-चार दिनों में ही इस बात को समझ लेंगे। आप अगर इस ब्लॉग का उपयोग करेंगे तो आप को और सहूलियत हो जायेगी।
पहला काम आप यह कीजिए कि पहले दिन क्लास में आपको पाठ्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी। पर यह ज़रूरी नहीं कि आप ने सारी ग्रहण कर ही ली होगी। जहाँ आपको समझ में न आया हो, आप निःसंकोच अपने अध्यापकों से पूछ लीजिए। अगर यहाँ आप चूके तो समझ लीजिये कि आगे दिक्कतें आएंगी।
मुझे उम्मीद है आप अवश्य दो-चार दिनों में ही इस बात को समझ लेंगे। आप अगर इस ब्लॉग का उपयोग करेंगे तो आप को और सहूलियत हो जायेगी।
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