गुजरात युनिवर्सिटी हीरक जयंती समारोहसमापन कार्यक्रमआज का दिन गुजरात विश्वविद्यालय और उसमें भी भाषा साहित्य भवन के लिए ब़ा ख़ुशी का दिन रहा। 23 नवंबर गुजरात युनिवर्सिटी के हीरक जयंती का समापन समारोह था। सुबह 9.15 को गुजरात राज्य के शिक्षा-मंत्री श्री रमणभाई वोरा ने भाषा साहित्य भवन के सभा खंड का उद्धाटन किया। उद्धाटन में उनके साथ हमारे विश्वविद्याल के सम्मानीय कुलपति आदरणीय डॉ. परिमल भाई त्रिवेदी , विकास अदिकारी एवं कार्यकारी कुलसचिव श्रीमती वैशाली पढ़ियार, भाषा साहित्य भवन के निदेशक आचार्य वसंत भट्ट, भाषा भवन के अध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
इसके बाद हीरक जयंती के निमित्त हिन्दी विभाग द्वारा अपराह्न 12 बजे एक छोटे से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम का आरंभ प्रार्थना से हुआ। कार्यक्रम के आरंभ में हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. रंजना अरगडे ने प्रासंगिक उद्बोधन करते हुए कहा कि "यह एक अद्भुत संयोग ही है कि इस वर्ष जहाँ हिन्दी के चार प्रमुख रचनाकारों – सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय , बाबा नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल एवं शमशेर बहादुर सिंह के शताब्दी वर्ष का आयोजन समग्र देश भर के हिन्दी प्रेमी कर रहे हैं, वहीं कवि कुल गुरु रवीन्द्रनाथ की डेढ़ सौवीं जयंती पूरा विश्व मना रहा है। यह हमारे लिए विशेष इसलिए हो जाता है कि यह वर्ष हमारे विश्वविद्यालय का हीरक जयंती वर्ष की पूर्णाहुति भी है।
इस अवसर पर हमारे विभाग के एम.ए तथा शोध छात्र-छात्राओं ने अपनी मौलिकता का परिचय देते हुए हिन्दी के विभिन्न कवियों की कविताओं का पाठ किया तथा गान बड़े उत्साह एवं तन्मयता के साथ किया। भी किया। यह एक तरह से इन कवियों के प्रति विभाग की स्मरणांजलि थी एवं मातृ-संस्था के प्रति अपने प्रेम एवं आदर की अभिव्यक्ति थी।
इसके बाद डॉ. आलोक गुप्त ने प्रासंगिक उद्बोधन किया तथा अपनी लाक्षणिक शैली में हिन्दी के प्रसिद्ध ग़ज़लकार दुष्यन्त कुमार का एक शेर कह कर अपनी बात समाप्त की। इस अवसर पर डॉ. रंजना अरगडे ने शमशेर जी की कविता – एक पीली शाम का पाठ किया। अंत में डॉ निशा रम्पाल ने जगदीश गुप्त की कविता का मर्म बताकर कार्यक्रम का समापन किया।
हिन्दी-विभाग द्वारा हीरक जयंती समारोह के समापन की कड़ी –रूप इस कार्यक्रम की कुछ झलकियां तस्वीरों एवं विडियो-प्रस्तुति के माध्यम द्वारा आप भी देखिए-
रिपोर्ट
राजेन्द्र परमार
(प्रोजेक्ट फैलो, भाषा साहित्य भवन, गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद)
इसके बाद हीरक जयंती के निमित्त हिन्दी विभाग द्वारा अपराह्न 12 बजे एक छोटे से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम का आरंभ प्रार्थना से हुआ। कार्यक्रम के आरंभ में हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. रंजना अरगडे ने प्रासंगिक उद्बोधन करते हुए कहा कि "यह एक अद्भुत संयोग ही है कि इस वर्ष जहाँ हिन्दी के चार प्रमुख रचनाकारों – सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय , बाबा नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल एवं शमशेर बहादुर सिंह के शताब्दी वर्ष का आयोजन समग्र देश भर के हिन्दी प्रेमी कर रहे हैं, वहीं कवि कुल गुरु रवीन्द्रनाथ की डेढ़ सौवीं जयंती पूरा विश्व मना रहा है। यह हमारे लिए विशेष इसलिए हो जाता है कि यह वर्ष हमारे विश्वविद्यालय का हीरक जयंती वर्ष की पूर्णाहुति भी है।
इस अवसर पर हमारे विभाग के एम.ए तथा शोध छात्र-छात्राओं ने अपनी मौलिकता का परिचय देते हुए हिन्दी के विभिन्न कवियों की कविताओं का पाठ किया तथा गान बड़े उत्साह एवं तन्मयता के साथ किया। भी किया। यह एक तरह से इन कवियों के प्रति विभाग की स्मरणांजलि थी एवं मातृ-संस्था के प्रति अपने प्रेम एवं आदर की अभिव्यक्ति थी।
इसके बाद डॉ. आलोक गुप्त ने प्रासंगिक उद्बोधन किया तथा अपनी लाक्षणिक शैली में हिन्दी के प्रसिद्ध ग़ज़लकार दुष्यन्त कुमार का एक शेर कह कर अपनी बात समाप्त की। इस अवसर पर डॉ. रंजना अरगडे ने शमशेर जी की कविता – एक पीली शाम का पाठ किया। अंत में डॉ निशा रम्पाल ने जगदीश गुप्त की कविता का मर्म बताकर कार्यक्रम का समापन किया।
हिन्दी-विभाग द्वारा हीरक जयंती समारोह के समापन की कड़ी –रूप इस कार्यक्रम की कुछ झलकियां तस्वीरों एवं विडियो-प्रस्तुति के माध्यम द्वारा आप भी देखिए-
रिपोर्ट
राजेन्द्र परमार
(प्रोजेक्ट फैलो, भाषा साहित्य भवन, गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद)
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