जिन खोजा तिन पाइयां

इस ब्लॉग में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर देने की कोशिश की जाएगी। हिन्दी साहित्य से जुड़े कोर्सेस पर यहाँ टिप्पणियाँ होंगी,चर्चा हो सकेगी।

Wednesday, 16 November 2011

HIN ५०३ प्रयोजनमूलक हिंदी

यूनिकोड संबंधी प्राथमिक जानकारीयूनिकोड क्या है
1. यूनिकोड एक पद्धति है।
2. सूचनाओं के भंडारण की आधुनिकतम पद्धति।
3. डेटा स्टोरेज संबंधी एनकोडिंग मानक।
4. डेटा कंप्यूटर के संचालन का केन्द्र बिंदु है।
एनकोडिंग का क्या अर्थ है
1. एनकोडिंग अर्थात् -अक्षरों अथवा पाठ्य सामग्री और कंप्यूटर पर स्टोर किए जाने वाले बाइनेरी डिजिट्स के बीच तालमेल बिठाने की प्रणाली।
2. एनकोडिंग टेबल (तालिका) के माध्यम से ही कंप्यूटर यह तय करता है कि फलाँ बाइनेरी कोड को फलां अक्षर या अंक के रूप में स्क्रीन पर प्रदर्शित किया जाए।
3. किस एनकोडिंग में कितने बाइनेरी अंक प्रयुक्त होते हैं इसी पर उसकी क्षमता और नामकरण निर्भर होते हैं।
उदाहरण देखें-
1. यूनिकोड के पहले जो लोकप्रिय एनकोडिंग था वह एस्की के नाम से जाना जाता है। इसे सात बिट का एनकोडिंग कहा जाता है, क्योंकि इसमें हर सूचना या संकेत के लिए सात बाइनेरी डिजिट का प्रयोग होता है।
2. (बिट= कंप्यूटर में प्रयुक्त बाइनेरी डिजिट का लघुतम हिस्सा (जैसे परमाणु))
3. इसके तहत इस तरह के अलग-अलग 128 संयोजन संभव हैं।
4. अर्थात इस एनकोडिंग के जरिए कंप्यूटर 128 अलग-अलग अक्षर या संकेत समझ सकता है।

अब हम जानें कि आखिर कंप्यूटर से हमें क्या काम लेना होता है-
1-लिखना 2- ध्वनि रिकार्डिंग 3-विडियो प्रोसेसिंग
इनसे हम क्या करते हैं
1. इनके माध्यम से या तो सूचनाएं देते हैं अथवा कंप्यूटर में पूर्व संचित सूचनाएं ग्रहण करते हैं। इन्हें इन-पुट तथा आउट-पुट कहते हैं। इन-पुट यानी सूचना प्रदान करना आउट-पुट यानी सूचनाएं ग्रहण करना।
2. ये सूचनाएं ही डेटा हैं। इन सूचनाओं को कंप्यूटर का डेटा कहते हैं।
3. यह डेटा कंप्यूटर में अंकों के रूप में संग्रहित होता है।
इसकी ख़ासियत क्या है
1. इस पद्धति से एक आम कंप्यूटर विश्व की सभी भाषाओं में काम करने में सक्षम हो जाता है।
2. बिना अंग्रेज़ी जाने कंप्यूटर की क्षमताओं का प्रयोग कर सकते हैं।
यह तथ्य जान लेना आवश्यक है
 कंप्यूटर केवल अंकों की भाषा जानता है। वह भी सिर्फ दो - 0 तथा 1(शून्य तथा एक)
इन दो अंको का भिन्न-भिन्न ढंग से, पारस्परिक बाइनरी संयोजन कर, अलग-अलग डेटा को कंप्यूटर पर रखा जा सकता है। मिसाल के तौर पर ०१०००००१ का अर्थ है अंग्रेजी का कैपिटल ए (A) अक्षर और ००११०००१ से तात्पर्य है १ (1) का अंक।
यूनिकोड से पहले क्या था
यूनिकोड के पूर्व कंप्यूटर एस्की एनकोडिंग की सीमा में बँधे हुए थे। इसीलिए भाषाओं के प्रयोग के लिए उन भाषाओं के फॉन्ट पर सीमित थे जो इन संकेतों को कंप्यूटर स्क्रीन पर अलग-अलग ढंग से प्रदर्शित करते हैं। यदि अंग्रेजी का फोंट इस्तेमाल करें तो ०१०००००१ संकेत को ए (A) अक्षर के रूप में दिखाया जाएगा। लेकिन यदि हिंदी फोंट का प्रयोग करें तो यही संकेत ग, च या किसी और अक्षर के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।
यूनिकोड के आने पर क्या हुआ
 एक क्रांति –सी हो गई।
सबसे पहले जानें कि ऐसा क्यों-
1. यह एक 16 बीट की एनकोडिंग व्यवस्था है।
2. अब यह व्यवस्था 32 और 64 तक भी चली गई है।
3. अभिव्यक्ति के लिए 16 बाइनेरी डिजिट्स का उपयोग होता है।
4. इसमें 65536 अद्वितीय संयोजन संभव हैं।(यूनिकोड 5.0.0 में लगभग 99000 संयोजन संभव हैं।) (इस हिसाब से 32 तथा 64 में तो कितने अधिक संयोजन संभव हैं।)
5. परिणामतः यूनिकोड हमारे कंप्यूटर में सहेजे गए डेटा को फॉन्ट की सीमाओं से बाहर निकाल देता है।
6. इस एनकोडिंग में किसी भी अक्षर, अंक या संकेत को सोलह अथवा अधिक बिट्स के अद्वितीय संयोजन के रूप में सहेजा जा सकता है।
7. चूँकि किसी एक भाषा में इतने सारे अद्वितीय(यूनिक) अक्षर मौजूद नहीं है अतः इस मानक में विश्व की सारी भाषाओं को शामिल कर लिया गया है।
8. हर भाषा में इन हज़ारों संयोजनों में से उसकी वर्णमाला संबंधी आवश्यकताओं के अनुसार स्थान दिया गया है।
9. इस व्यवस्था में सभी भाषाएं समान दर्ज़ा रखती हैं और सहजीवी हैं।
10. अर्थात- यूनिकोड आधारित कंप्यूटर पहले से ही विश्व की हर भाषा से परिचित है, बशर्ते आपके कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम में इसकी क्षमता हो।
11. फिर चहे वह हिंदी हो, पंजाबी हो, गुजराती हो या तमिळ।
12. वे प्राचीन भाषाएं भी, जो अब बोली नहीं जाती- जैसे प्राकृत अथवा पालि।
13. वे भाषाएं भी जो संकेत के रूप में प्रयुक्त होती हैं- जैसे गणितीय या वैज्ञानिक भाषाएं।
यूनिकोड के प्रयोग के लाभ
1. एक कंप्यूटर पर दर्ज़ किया गया पाठ (टेक्स्ट) विश्व के किसी भी अन्य यूनिकोड आधारित कंप्यूटर पर खोला जा सकता है।
2. उस भाषा के अलग फॉन्ट का इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं रही।
(क्योंकि सिद्धांततः विश्व की हर भाषा के अक्षर यूनिकोड केंद्रित हर फॉन्ट में मौजूद हैं।)
3. कंप्यूटर में पहले से मौजूद इस क्षमता को सक्रिय करने की आवश्यकता है।
4. इसे सक्रिय इन ऑपरेटिंग व्यवस्था से किया जा सकता है-
 विंडोज एक्सपी, विंडोज 2003, विंडेज़ विस्ता, मैक एक्स10, रेड हेट लिनेक्स, उबन्तु लिनेक्स, ।
5. यूनिकोड व्यवस्था केवल देखने या पढ़ने तक सीमित नहीं है।
6. हिंदी जानने वाला व्यक्ति यूनिकोड आधारित किसी भी कंप्यूटर पर टाईप कर सकता है।
7. चाहे वह विश्व के किसी भी कोने में रह रहा हो।
8. केवल हिंदी ही नही, एक ही फाईल में एक ही फॉन्ट इस्तेमाल करते हुए आप विश्व की किसी भी भाषा में लिख कर सकते हैं।
9. इस प्रक्रिया में अंग्रेज़ी कहीं भी बाधा नहीं है।
10. भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में सूचना प्रौद्योगिकी का यह अपना अलग प्रकार का योगदान है।
यूनिकोड आधारित कंप्यूटर पर किसी भी भारतीय भाषा में काम संभव कैसे हो सकता है.
ऑपरेटिंग सिस्टम अथवा कंप्यूटर पर इन्स्टॉल किए गए सॉफ्टवेर यूनिकोड व्यवस्था का पालन करें। उदाहरण के लिए

 एम.एस का ऑफिस संस्करण. सन माक्रोसॉफ्ट का स्टर ऑफिस या फिर ओपन सोर्स पर आधारित ओपन ऑफिस. ऑर्ग जैसे सॉफ्टवेयर में शब्द संसाधक (वर्ड प्रोसेसर) तालिका आधारित सॉफ्ट वेयर(स्प्रेड शीट), प्रस्तुतु संबंधी सॉफ्टवेयर(पावरपॉइंट) में अंग्रेज़ी की ही तरह हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में काम हो सकता है।
यानी कि इतने काम हो सकते हैं अब, तो, भारतीय भाषाओं में क्या करना संभव है
 यूनिकोड आधारित वेबसाइट अथवा पोर्टल को देखने के लिए पाठक के पास संबंधित फॉन्ट होने की अनिवार्यता भी नहीं है। वह उन्हें देख सकता है, डाउनलोड भी कर सकता है। यह सुविधा सीमित अर्थों में डायनेमिक फॉंट टेकनोलॉजी के जरिए पहले भी मौजूद थी। लेकिन यह तभी हो सकता था जब कंप्यूटर पर संबंधित फॉन्ट मौजूद होते थे। अब ऐसा नहीं है। यह सीमा नहीं रही।
 यूनिकोड ने कंप्यूटर की संपूर्ण कार्य प्रणाली बदल दी है। अब वह अंग्रेज़ी का मोहताज नही रहा।
कार्य प्रणाली में कहाँ कहां परिवर्तन आए-
 डेटा का भंडारण, प्रोसेसिंग, प्रस्तुति।
समस्या कहाँ है
 विश्व के अधिकांश कंप्यूटर पुरानी व्यवस्था पर चलते हैं –(7 बिट के)
 यूनिकोड में 16 बिट्स हैं। अतः वे कंप्यूटर इसे समझ नहीं सकते।
क्या करना होगा
 ताजातरीन विंडोज, लिनक्स, अथवा मेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग
 पी-4, 2 गीगाहर्ट्ज श्रेणी का, कम से कम 40 जी बी हार्ड डिस्क 256 एम बी रैम (रैंडम एक्सेस मेमरी) से युक्त हो।
(गीगाहर्ट्स= फ्रीक्वंसी-अंतराल पी-4= पेंटीयम -4 ( एक तरह का प्रोसेसर)
जी बी= गीगीबाईट्स एम बी=मेगा बाईट्स)
 अतः आर्थिक बिंदु महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

3 comments:

  1. मेडम , आप ने यूनिकोड की बहोत बढ़िया जानकारी हमें दी है | मेरे घर विंडोज एक्सपी है और मैने control panel में जाकर हिंदी भाषा apply की लेकिन मेडम हिंदी में लिखा ही नहीं जा रहा | तो मेडम आप इस बारे में मेरी मदद करें |

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  2. इसे तो प्रयोग कर के ही बताया जा सकता है। अतः जब कभी तुम भवन पर आओ तो हम इसे कर के देख सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि अगर हमारा कंप्यूटर एसेंबल्ड हो तो यह संभव नहीं हो पाता। मैंने एक लेख भी क्लास में दिया था जिसमें दी हुई जानकारी से आपको पता चलेगा कि ऐसा होने के कारण क्या हो सकते हैं।

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  3. रंजना जी, आपने बहुत ही उपयोगी तथा सटीक सूचनाएँ प्रदान की हैं। चाहें तो अंतिम दो बिंदु हटा सकते हैं क्योंकि नए कंप्यूटरों में इससे बेहतर कन्फीगरेशन (प्रोसेसर, रैम आदि) आने लगा है। आपने सूचनाओं को अलग-अलग खंडों में बहुत अच्छी तरह organise किया है, जिससे कंप्यूटर यूज़र्स को आसानी होगी। बधाई।

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