जिन खोजा तिन पाइयां

इस ब्लॉग में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर देने की कोशिश की जाएगी। हिन्दी साहित्य से जुड़े कोर्सेस पर यहाँ टिप्पणियाँ होंगी,चर्चा हो सकेगी।

Thursday, 15 March 2012


HIN509-अनुवाद में उत्तर आधुनिकता
(1)
"अनुवाद में उत्तर-आधुनिकता" हमारे HIN509 कोर्स का पाँचवा यूनिट है। अनुवाद और उत्तर आधुनिकता की चर्चा कोई नई नहीं है। उत्तर आधुनिकता का प्रभाव जिस तरह साहित्य पर पड़ा उसी तरह अनुवाद पर भी पड़ा। इसकी चर्चा करने के पूर्व हम इसकी एक भूमिका समझ लें।
जेम्स होम्स ने 1972 में 'दू नेम एंड नेचर ऑफ ट्रांस्लेशन स्टडीज' में जैसे अनुवाद अध्ययन की शुरुवात का घोषणा-पत्र जारी कर दिया। अगर इस वर्ष को आधार मानें तो यह कहना पडेगा कि कि अभी अनुवाद अध्ययन को पूरे पचास वर्ष भी नहीं हुए हैं। अभी यह विद्या शाखा अपने बचपन या किशोर अवस्था में ही है। परन्तु तेज गति से दौड़ते इस समय को देखते हुए ज्ञान शाखाएं बहुत जल्दी और तेज़ी से बड़ी हो रही हैं अतः हम कह सकते हैं कि इस विद्या शाखा का यह फुल्ल-यौवन काल है।
अनुवाद संबंधी हमारी समझ को हम तीन हिस्सों में बाँट सकते हैं
1-       

अनुवाद कार्य (यह अनुवाद से जुड़ा सबसे प्राचीन स्वरूप है।
2-       अनुवाद सिद्धांत-( Translatology)
3-       अनुवाद अध्ययन-1972 से (Translation Studies)
अनुवाद अध्ययन का संबंध उसके उत्पादन तथा उसके वर्णन से भी संबंद्ध है। एक ऐसे सिद्धांत की खोज जो अनुवाद उत्पादन के लिए भी भी मार्ग दर्शिका रहे। अतः अनुवाद अध्ययन के दो भाग किए जा सकते हैं-
1-      शुद्ध अनुवाद अध्ययन जिसमें सैद्धांतिक तथा वर्णात्मक अनुवाद अध्ययन तथा
2-प्रायोगिक अनुवाद अध्ययन
Ø  शुद्ध अनुवाद अध्ययन के अन्तर्गत सैद्धांतिक में इन बातों को शामिल किया जा सकता है-
1. सामान्य अनुवाद अध्ययन तथा     2. आंशिक अनुवाद अध्ययन
·         आंशिक अनुवाद के अतर्गत निम्नलिखित  मुद्दों का समावेश संभव है-
a) माध्यम द्वारा मर्यादित
b) क्षेत्र द्वारा मर्यादित
c) रैंक द्वारा मर्यादित
d) पाठ द्वारा मर्यादित
e) समय द्वारा मर्यादित
f) समस्या द्वारा मर्यादित

·         (2) शुद्ध अनुवाद अध्ययन के अन्तर्गत वर्णनात्मक अनुवाद अध्ययन में इन बातों का समावेश  संभव है


a)  उत्पाद आधारित-     जिसमें पहले से ही अनूदित प्राप्त अनुवाद की चर्चा हो


b)  प्रक्रिया आधारित-     जिसमें प्रक्रिया दौरान होने वाले मानसिक प्रक्रियाओं की बात हो।


c)  प्रकार्य आधारित- जिसमें इस बात का अध्ययन हो कि लक्ष्य भाषा की संस्कृति में इन अनुवादों का क्या असर पड़ सकता है या अनुवाद की क्या भूमिका हो सकती।


Ø  अनुवाद के प्रायोगिक पक्ष का संबंध अनुवाद प्रशिक्षण, अनुवाद उपकरण तथा अनुवाद समीक्षा से संबंधित है।


आज अनुवाद के उत्तर आधुनिक संदर्भ के साथ-साथ उसके उत्तर-औपनिवेशिक संदर्भ को भी देखा जा रहा है, अतः एक महत्व का प्रश्न यह भी उठता है कि पश्चिमी जगत ने जो अनुवाद की समझ, संकल्पना तथा सिद्धांत दिए हैं, क्या हम अपने अनुवादों के परिप्रेक्ष्य में उन्हे अपने तरीके से नहीं देख सकते।

इस भूमिका के बाद जब हम अनुवाद के उत्तर आधुनिक स्वरूप की बात करते हैं तो भाषा प्रौद्योगिकी , संगणक, बाज़ार, विज्ञापन आदि की बात तो करते ही हैं पर साथ ही परिधि पर स्थित , अलक्षित को लक्षित करने की भी बात है। चाहे 1972 के पहले की बात करें या फिर उसके की बात हो , अनुवाद हमेशा दोयम दर्ज़े पर रहा है। परन्तु वाल्टर बेंजामिन और उनसे भी अधिक जाक देरिदा के बाद अनुवाद को देखने का नज़रिया बदल जाता है। पहले साहित्य केन्द्र में था अनुवाद हाशिए पर  था। वह मूल का पिछलग्गू था। लेकिन उत्तर-आधुनिकता के आने के बाद अनुवाद का स्थान बदल गया।

अनुवाद का मुख्य उद्देश्य संप्रेषण है- भावों, विचारों तथा भाषा सौन्दर्य का संप्रेषण। भाव तथा विचार की अभिव्यक्ति भाषा के माध्यम से होती है। भाषा में शब्द होते हैं और शब्दों के अर्थ होते हैं। उत्तर-आधुनिकता में प्रवेश करने का एक रास्ता यह भी रहा कि शब्द तथा अर्थ के संदर्भ में समझ बदली। अर्थ स्थिर नहीं होते। अर्थ संदर्भ के अनुसार तय होते हैं। वे अनिश्चित होते हैं, अनंत होते हैं। अतः स्रोत पाठ के किसी भी शब्द का कोई एक निश्चित अर्थ होता नहीं हैं। अतः यह तय कर पाना कि कौन-सा अर्थ लिया जाए यह बहुत मुश्किल होता है।
पहले अनुवाद का संबंध भाषा विज्ञान से ही था। व्याकरण से था। उत्तर आधुनिक समय में आ कर अनुवाद का संबंध राजनीति, समाज-शास्त्र, संस्कृति अध्ययन तथा विचारधारा से जुड़ गया।
जब हम कहते हैं हैं कि अनुवाद में एक पाठ दूसरे पाठ में, एक भाषा से दूसरी भाषा में स्थानांतरित होता है तो केवल एक भाषा व्यवस्था को दूसरी भाषा व्यवस्था में ही नहीं ले जाते बल्कि एक समाज को दसरे समाज में, एक संस्कृति को दूसरी संस्कृति को स्थानांतरित करते हैं, रूपांतरित करते हैं।
अनुवाद अध्ययन के संदर्भ में कुल तीन पोस्ट मैं भेजूंगी। इस संदर्भ में आप अफने सवाल भी भेज सकते हैं।



2 comments:

  1. mem muje jo 510 me project taiyar karna he usme mene " maill anchal me anchlikta" ka visay chna he mene kafi upanyas padhe jisme anchalikta ka put ho, lekin me yah visay par upana kam karsakti hu yahi jana he, mem please help me!

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  2. मैं नहीं जानती कि आप कहाँ पढ़ रही हैं। किंतु आपने जो विषय लिया है उस पर आप शोध-लेख लिख सकती हैं। मैंने शोध-लेख किस तरह लिखा जाना चाहिए इस संबंध में जो पावर पॉइंट डाला है, उसकी मदद ले कर आप अपना विषय आगे बढ़ा सकती हैं। इस संदर्भ में आप अपने अध्यापक से तो पूछ ही सकती हैं।

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