शमशेरजी को हमारे बीच से विदा हुए 12 मई के रोज़ 20 वर्ष हुए। 12 मई 2012 को उनकी सामग्री अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय , वर्धा को सौंपी गयी। कदाचित् यह इस तरह का प्रथम प्रयास है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अब शमशेरजी पर शोद करने वालों के लिए एक ऐसी जगह हो गयी है जहाँ देश-विदेश के शोध छात्र आकर काम कर सकेंगे। उनकी सामग्री से जो आय होगी उसे विश्वविद्यालय छात्रों को छात्रवृत्ति देने के तथा मेडल देने के उपयोग उपरान्त शमशेरजी पर विभिन्न आयोजन करने में खर्च करेगा।
शमशेरजी अपने अंतिम समय में अहमदाबाद में रहे थे। यह इस शहर का तथा राज्य का भी सौभाग्य माना जाएगा।
No comments:
Post a Comment