जिन खोजा तिन पाइयां

इस ब्लॉग में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर देने की कोशिश की जाएगी। हिन्दी साहित्य से जुड़े कोर्सेस पर यहाँ टिप्पणियाँ होंगी,चर्चा हो सकेगी।

Monday 27 December 2010

नए सेमिस्टर में प्रवेश

आप सभी ने प्रथम सेमिस्टर की परीक्षा अच्छी तरह से दे दी होगी। पहली बार नए ढंग से परीक्षा देने के सुख और दुख को आपने अनुभव किया होगा। पर पहले सेमिस्टर का अनुभव अब आपको काम आएगा। दूसरे सेमिस्टर में आप जैसा कि जानते हैं गद्य और पद्य को भी पढ़ेंगे। इस सेमिस्टर का पाठ्यक्रम आपके पास होगा ही। पर इसमें रहे यूनिट्स का विस्तार जानना ज़रूरी है। इस की चर्चा हम कोर्स HIN412 से आरंभ करेंगे।
पिछले सेमिस्टर में 406 में हमने हिन्दी के निबंध-स्वरूप के माध्यम से हिन्दी निबंधों का अध्ययन किस तरह करना चाहिए यह समझा था। इस सेमिस्टर में हम यही प्रक्रिया कविताओं के साथ करेंगे। कविताओं का आस्वाद कैसे किया जाता है और कविताओं का विश्लेषण कैसे करना चाहिए इस बात को समझना रोचक होगा। एक मध्यकालीन कविता को समझना और उसका विश्लेषण आज की कविता से किस तरह भिन्न है इसे हम इस सेमिस्टर में सीखेंगे। आप इन कविताओं को किसी भी स्रोत से प्राप्त कर सकते हैं। आपके अध्यापक भी इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। कविता का पाठ , कविता में भाषा और सौन्दर्य-धर्मी प्रयोग किस तरह उसके भाव को प्रकट करते हैं, इसका इस कोर्स में हमें पता चलेगा। आपकी जानकारी के लिए इस कोर्स विवरण इस तरह है-
चुनी हुई कविताओं का वर्ष दौरान अध्यापक द्वारा काव्यास्वाद एवं काव्य विश्लेषण कराया जाए तथा विद्यार्थियों को लिखने का अभ्यास भी कराया जाए। वर्षान्त में कम-से कम 3000 शब्दों में आलेख जमा करवाया जाए आलेख में काव्यास्वाद की प्रक्रिया, काव्यस्वाद के आधार, पाठ्यक्रम में दी हुई कविताओं का आस्वाद आदि पर बात हो सकती है। काव्यास्वाद एवं काव्य-विश्लेषण की प्रक्रिया में अध्यापक एवं विद्यार्थी दोनों की सहभागिता अपेक्षित है। विद्यार्थी चाहे तो स्वतंत्र रूप से भी काव्यस्वाद कर सकता है। वर्ष दौरान किये गए अभ्यास एवं वर्षान्त में किए हुए प्रस्तुतिकरण के आधार पर आंतरिक मूल्यांकन (50 अंक का ) होगा।
मौखिकी के लिए विद्यार्थी द्वारा तैयार प्रस्तुति एवं कोर्स में दी गई कविताओं में आए भाव एवं सौन्दर्यबोध की पहचान हो सके इस तरह विद्यार्थी को तैयारी करनी होगी।
क्रम कविता का शीर्षक कवि
1. आली री म्हारे णेणा बाण पड़ी मीराँबाई
2. मेरो मन अनत कहाँ सुख पायो सूरदास
3. तब तौं छवि पीवत जीवत हौं घनानंद
4. बीती विभावरी जाग री जयशंकर प्रसाद
5. मैं नीर भरी दुख की बदरी महादेवी
6. ऊषा शमशेर बहादुर सिंह
7. कुदाली केदारनाथ सिंह
8. विदूषक की प्रार्थना मोहन डहेरिया
मूल्यांकन के आधार( लिखित एवं मौखिक तथा आंतरिक एवं बाह्य दोनों के लिए)
1- कथ्य
2- प्रस्तुति
3- भाषा
4- स्वतंत्र चिंतन