जिन खोजा तिन पाइयां

इस ब्लॉग में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर देने की कोशिश की जाएगी। हिन्दी साहित्य से जुड़े कोर्सेस पर यहाँ टिप्पणियाँ होंगी,चर्चा हो सकेगी।

Friday 6 July 2012

आदर्श अध्यापक-डॉ भोलाभाई पटेल

आज 5 जुलाई से सत्रारंभ हुआ। मई 2012 में डॉ. भोलाभाई पटेल का अवसान हुआ। सत्रारंभ में ही हिन्दी विभाग ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। हिॆंदी विभाग के अध्यापकों के तथा तृतीय  सेमिस्टर के छात्रों के साथ-साथ विभाग के शोध छात्र, भूतपूर्व छात्रों की सभा ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए । अंत में एक शोक-प्रस्ताव पढ़ा गया।


हिन्दी-विभाग
भाषा साहित्य भवन, गुजरात युनिवर्सिटी
शोक प्रस्ताव

भाषा साहित्य भवन के हिन्दी विभाग के अध्यापकों, विद्यार्थियों, पूर्व- विद्यार्थियों की यह सभा आज नए सत्र के आरंभ में स्वर्गीय डॉ. भोलाभाई पटेल, पूर्वाध्यक्ष हिन्दी विभाग, भाषा साहित्य भवन , के निधन पर शोक व्यक्त करने हेतु एकत्रित हुई है।
दिनांक 20 मई 2012 को  प्रातः डॉ. भोलाभाई पटेल का अवसान हुआ। डॉ. भोला भाई पटेल इस विभाग में सन् 1969 में व्याख्याता के रूप में नियुक्त हुए थे तथा सन् 1994 में वे प्रोफेसर एवं अध्यक्ष के रूप में निवृत्त हुए। इस लंबे कार्य-काल के दौरान प्रो. भोलाभाई पटेल के मार्गदर्शन में अनेक विद्यार्थियों ने अध्ययन किया। डॉ. पटेल वास्तव में एक आदर्श एवं श्रेष्ठ अध्यापक के साक्षात् विग्रह थे। अपने कार्यकाल के दौरान आपने अंग्रेज़ी, संस्कृत, भाषा-विज्ञान, जर्मन, तथा तुलनात्मक साहित्य का अधययन कर उपाधियाँ प्राप्त की तथा यह सिद्ध किया कि अध्यापक होते हुए भी सतत विद्याभ्यास करना किसी भी अध्यापक का आदर्श लक्ष्य हो सकता है। डॉ. पटेल गुजराती भाषा के साहित्यकार तो थे ही परन्तु उनकी ख्याति एक आदर्श शिक्षक के रूप में विशेष रही।
हिन्दी के पाठ्यक्रमों में अनुवाद तथा तुलनात्मक साहित्य को समाविष्ट करना, भारत के अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में गुजरात विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में नए रचनाकारों को पाठ्यक्रमों में शामिल करने का श्रेय डा.पटेल को दिया जा सकता है। नए विषयों पर शोध करवाने का श्रेय भी डॉ. पटेल को दिया जा सकता है।
आदर्श शिक्षक के अलावा हमारा सारस्वत समाज उन्हें एक उत्तम अनुवादक तथा भाषा-विद् के रूप में भी सदैव याद रखेगा। उत्तर गुजरात के एक छोटे से गाँव में जन्मे डॉ. पटेल हिन्दी, अंग्रेज़ी, संस्कृत, मराठी, जर्मन, बंगाली, असामी तथा उड़िया भाषा के भी जानकार थे। उनके इस भाषा ज्ञान तथा अनुवाद कौशल के कारण वे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक विशेष पहचान बना पाए थे।
डॉ.भोलाभाई पटेल अपने जीवनकाल में अनेक साहित्यक संस्थाओं से जुड़े रहे। इनमें प्रमुख हैं- गुजरात साहित्य अकादमी, गांधीनगर, गुजराती साहित्य परिषद्, अहमदाबाद, केन्द्रीय साहित्य अकादमी, दिल्ली, आदि। अपने निधन से पूर्व वे गुजराती साहित्य परिषद् के अध्यक्ष पद पर कार्यरत थे।
डॉ. पटेल ने अपने जीवन काल में अनेक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त किए। इनमें से प्रमुख हैं – साहित्य अकादमी दिल्ली का अनुवाद तथा मौलिक लेखन के लिए पुरस्कार, उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान का सम्मान, रणजितराम सुवर्ण चंद्रक तथा भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया जाना। आपको निवृत्ति के बाद बिरला फाउण्डेशन की फैलोशिप भी मिली थी जिसके अन्तर्गत आपने भारतीय उपन्यास पर एक महत्वपूर्ण काम किया। इसके अलावा आप को निवृति के पश्चात् यू.जी.सी. की एमेरिटस फैलोशिप भी मिली थी। सतत अध्ययनशीलता डॉ. पटेल के व्यक्तिव का अविभाज्य अंश था, जो इस विभाग को प्राप्त  एक अमूल्य विरासत कही जा सकती है।
गुजरात युनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग की यह सभा अपने अग्रज को हार्दिक श्रद्धांजलि देते हुए इस बात के प्रति अपने को कटिबद्ध पाती है कि उनके बताए मार्ग पर चलते हुए उसे अधिक विस्तार एवं आयाम दें, साथ ही विभाग उनके परिवारजनों के प्रति इस शोक-वेला में सह-अनुभूति की भावना भी व्यक्त करता है।

हिन्दी विभाग के समस्त सदस्यों की ओर से-     
                                                                                                                               रंजना अरगडे
                                                                   अध्यक्ष- हिन्दी विभाग
 5 जुलाई 2012