जिन खोजा तिन पाइयां

इस ब्लॉग में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर देने की कोशिश की जाएगी। हिन्दी साहित्य से जुड़े कोर्सेस पर यहाँ टिप्पणियाँ होंगी,चर्चा हो सकेगी।

Monday 19 July 2010

मुश्किल कैसे हो दूर

विद्यार्थी के रूप में हमारी सबसे बड़ी समस्या यही होती है कि एम.ए में प्रवेश लेने के बाद उस पाठ्यक्रम में अपने आप को स्थिर करते-करते लम्बा समय निकल जाता है । जब तक होश आता है , साथ-साथ परीक्षाएं भी आ ही जाती हैं। वर्षीय पद्धति में हमारे पास समय था, पर अब नहीं है। अतः जैसे फास्ट फुड होता है, आप भी इस पाठ्यक्रम में अपने आप को जल्दी ही व्यवस्थित कर लीजिए। इसी हेतु से हमने पहले की कुछ पोस्ट लिखी थी।
पहला काम आप यह कीजिए कि पहले दिन क्लास में आपको पाठ्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी। पर यह ज़रूरी नहीं कि आप ने सारी ग्रहण कर ही ली होगी। जहाँ आपको समझ में न आया हो, आप निःसंकोच अपने अध्यापकों से पूछ लीजिए। अगर यहाँ आप चूके तो समझ लीजिये कि आगे दिक्कतें आएंगी।
मुझे उम्मीद है आप अवश्य दो-चार दिनों में ही इस बात को समझ लेंगे। आप अगर इस ब्लॉग का उपयोग करेंगे तो आप को और सहूलियत हो जायेगी।

2 comments:

  1. BHARTIYA SAHITYA KI AVADHARNA AUR SAVARUP KO SAMJHYAE

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  2. भारतीय साहित्य की अवधारणा और स्वरूप में किन बातों को पढ़ा जाए इस संबंध में इसी ब्ल़ॉग में मैंने लिखा है। इस संबंध में आप रामछबीला त्रिपाठी की पुस्तक भी देख सकते हैं। वर्ग में इसके विषय में मैंने आपको बताय भी था। आप ब्लॉग में जो बिन्दु दिये हैं उन पर आगे बढेंगे तो आप को दिक्कत नहीं आएगी।

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