जिन खोजा तिन पाइयां

इस ब्लॉग में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर देने की कोशिश की जाएगी। हिन्दी साहित्य से जुड़े कोर्सेस पर यहाँ टिप्पणियाँ होंगी,चर्चा हो सकेगी।

Saturday 17 December 2011

अभी तो तीसरे सत्र की परीक्षा हुई ही है और अब आपको तुरंत चौथे सेमिस्टर की शुरुआत करनी होगी। एम.ए की पदवी का यह आपका अंतिम पड़ाव है। आप कुछ देर आराम से बैठें और सोचें कि इस सेमिस्टर पद्धति से आपको क्या लाभ हुआ और कहाँ आपको लगा कि इस सेमिस्टर पद्धति में कुछ और सुधार तथा परिवर्तन की आवश्यकता है। आप इस पद्धति के माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों की पहली बेच है। अतः आपका फीड़बैक बहुत अहम होगा। मैं चाहती हूँ कि आप निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें ताकि हम अपने पाठ्यक्रम में आवश्यक परिवर्तन कर सकें-
  •  पाठ्यक्रम का विस्तार- अधिक, ठीक, कम( आप सभी कोर्सेस को ध्यान में रख कर इसका जवाब दें)
  • पाठ्यक्रम में जिन विषयों को समेटा गया है क्या वे आपके लिए उपयोगी साबित हुए अथवा नहीं?
  • आपके पाठ्यक्रम में हर कोर्स के आरंभ में कोर्स का उद्देश्य तथा उससे प्राप्त होने वाले कौशल का उल्लेख किया गया है। क्या उन पाठ्यक्रमं को पढ़ते समय वे उद्देश्य पूरे हुए और क्या उस प्रकार का कौशल आप प्राप्त कर सके?
  • अगर ऐसा हुआ है तो उसके कारण क्या हैं?
  • अगर नहीं तो उसके कारण क्या हैं?
  • ऐसा कौन-सा कोर्स है जो आपकी दृष्टि से बहुत उपयोगी रहा और कौन-सा ऐसा जो आपकी दृष्टि से व्यर्थ था?
  • उपयोगी होने और व्यर्थ होने के कारण आपकी दृष्टि में क्या हैं ?
आप इन प्रश्नों के उत्तर भाषा भवन में डाक द्वारा भी भेज सकते हैं। आपका फीड़बैक बहुत बहुमूल्य होगा। अगली पोस्ट में चौथे सेमिस्टर के संबंध में कुछ बात करेंगे।

4 comments:

  1. Madam Agar Hume Rastiya Sangosthi 23-24 December ko jo he usme aana he to kya karna hoga ples es ke baare me bataiye.Or aapka Dhanyavad ki aapne huma yaani Ek student ka feedback janna chaa.
    Aruna

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  2. यह राष्ट्रीय संगोष्ठी यों तो अध्यापकों के लिए है। आप एक विद्यार्थी के रूप में उसमें पंजीकृत नहीं हो सकतीं। परन्तु आप जिन सत्रों में आना चाहती हैं, उनमें आ सकती हैं। जहाँ तक विद्यार्थी के फीड़बैक का प्रश्न है- यह पाठ्यक्रम तो आप ही के लिए बना है। आपको इसकी कितनी उपयोगिता है, यह सबसे अहम् मुद्दा है। आप अवश्य ही फ़ीडबैक दें। मैं प्रतीक्षा करूंगी।

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  3. Madam apne hamare liye dalit sahitya ko chunkar ek naye vichar ko hmare andar jagrutkiya he, jisase unke prati hamari soch me kafi badlav ham mahesus karte he, sahar me yah samsya utni nahi jitani gauv me he, gauv ke adhetao ke liye ye madadgar sabit hoga.dhanyavad mem.

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  4. मुझे बहुत प्रसन्नता है कि दलित साहित्य पढ़ कर आपने अपने भीतर परिवर्तन महसूस किया। सोच में बदलाव- यही तो ज्ञान का काम है। उद्देश्य है। मुझे संतोष है कि इस पाठ्यक्रम को पढ़ाने का एक उद्देश्य सफल हुआ।आपका यह विश्वास भी आश्वासन कर्ता है कि गाँवों में इसके पढ़ाए जाने से परिवर्तन होगा। आपके फीड़बौक के लिए धन्यवाद।

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