जिन खोजा तिन पाइयां

इस ब्लॉग में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर देने की कोशिश की जाएगी। हिन्दी साहित्य से जुड़े कोर्सेस पर यहाँ टिप्पणियाँ होंगी,चर्चा हो सकेगी।

Saturday 25 May 2013

पुनश्च

कोर्स ४०९ को लेकर आपने में जो सवाल उठाए हैं, उनके संबंध में पहले तो मुझे आपको बधायी देनी चाहिए कि आप अपने पाठ्यक्रम को गंभीरता से लेते हैं। फिर आप अध्ययनशील भी हैं। लेकिन हमें अपना अध्ययन निरंतर पैना बनाना चाहिए। अपने जिन सवालों को उठाया है,उनमें पहला प्रश्न बाणभट्ट के प्रकाशन वर्ष को लेकर था। आप को यह तो पता ही है कि इस उपन्यास को आपको विशेष रूप से नहीं पढ़ना है। जैसे सूरज का सातवाँ घोड़ा इत्यादि। पर हिन्दी उपन्यास में आए विभिन्न मोडों में से एक यह भी है। इस का असर उत्तर आधुनिक समय के उपन्यासों पर देख सकते हैं। बाणभट्ट आत्मकथा नहीं परन्तु आत्मकथनात्मक उपन्यास है, जैसे कि ओम्प्रकाश वाल्मीक के जूठन के विषय में कहा जाता है। फ़र्क यह है कि बाणभट्ट की कथा हजारी प्रसाजी कहते हैं और वाल्मीक की कथा स्वयं कहते हैं वाल्मीक

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