जिन खोजा तिन पाइयां

इस ब्लॉग में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर देने की कोशिश की जाएगी। हिन्दी साहित्य से जुड़े कोर्सेस पर यहाँ टिप्पणियाँ होंगी,चर्चा हो सकेगी।

Thursday 28 July 2011

इस पोस्ट में सेमिस्टर १ तथा सेमिस्टर-३ के छात्रों के लिए एक आवश्यक सूचना है। सेमिस्टर ३ के विद्यार्थियों तथा अध्यापकों के अनुभव से हमने कोर्स ४०१ को थोड़ा व्यवस्थित किया है। इस कोर्स के विषय में तथा कोर्स ५०५ के संदर्भ में कुछ परिवर्तन किया गया है जो यहाँ दिया जा रहा है।
HIN – 401 स्वांतत्र्योत्तर हिन्दी साहित्य का इतिहास
UNIT ONE - हिन्दी साहित्य में इतिहास लेखन
1-1 हिन्दी साहित्य का इतिहास: पुनर्लेखन की समस्याएँ
 आवश्यकता
 साहित्य चेतना का विकास
 नवीन शोध – परिणाम
 हिन्दी का स्वरूप – विस्तार*
 साहित्य की सीमा
1-2 आधार–स्रोत
1-3 इतिहास के क्षेत्र में मौलिकता
 इतिहास, अर्थ एवं स्वरूप*
1-4 - इतिहास दर्शन की रूपरेखा एवं साहित्य का इतिहास दर्शन
 भारतीय दृष्टि कोण
 पाश्चात्य दृष्टि कोण
1.5- हिन्दी साहित्येतिहास की परम्परा और उसके आधार
 काल विभाजन और नामकरण
 नामकरण की समस्याएँ
(सूचना – उपरोक्त पाठ्यक्रम को समझने के लिए 1- हिन्दी का स्वरूप – विस्तार तथा इतिहास अर्थ एंव स्वरूप मुद्दों की मात्र चर्चा करनी हैं प्रश्न नहीं पूछने हैं) इस यूनिट के लिए 'हिन्दी साहित्य का इतिहास – डॉ.नगेन्द्र' की पुस्तक को संदर्भ ग्रंथ के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। )
UNIT TWO – स्वांतत्र्योत्तर हिन्दी कविता
2-1 – प्रयोगवाद
 ऐतिहासिक परिवृत्त
 तार सप्तक (पूर्ण)
 प्रयोगवादी काव्य का घोषणा- पत्र
 नकेन – एक अतिवादी प्रयोग
 प्रयोगवादी काव्य की उपलब्धियाँ
2-2 नई कविता
 काव्यांदलोन की प्रवृति
 ऐतिहासिक आधार
 नई कविता का प्रयोग और प्रतिमान
 सामयिक परिवेश और नयी कविता
 नयी कविता की उपलब्धि और सीमाएँ
UNIT THREE – साठोत्तरी हिन्दी कविता
 कुछ प्रमुख काव्य आंदोलन और साठोत्तरी कविता
 अंतराष्ट्रीय स्थितियाँ और साठोत्तरी कविता
 अनियत कालीन पत्रिकाएँ और साठोत्तरी कविता
 साठोत्तरी कविता की उपलब्धियाँ
 हिप्पी संस्कृति और साठोत्तरी कविता
UNIT FOUR – स्वांतत्र्योत्तर हिन्दी नाटक
4–1 स्वांतत्र्योत्तर हिन्दी नाटककार
 मोहन राकेश
 लक्ष्मीनारयण लाल
 स्वांतत्र्योत्तर हिन्दी नाटक
 अंजो दीदी (उप्रेन्द्रनाथ)
 बिना दीवारों का घर (मन्नुभंङारी)
4-2 प्रयोगशील नाटक और नाटककार
 द्रौपदी (सुरेन्द्र वर्मा )
 खोए हुए आदमी की खोज (विपिनकुमार)
 जगदीशचन्द्र माथुर
 हबीब तनवीर
4 -3 काव्य नाटक
 धर्मवीर भारती का काव्य – नाटक –अंधायुग ।
 दुष्यंत कुमार का काव्य -नाटक – एक कंठ विषपायी
UNIT FIVE - नुक्कड नाटक एवं एकांकी
5- नुक्कड नाटक
 नुक्कङ नाटककार गुरूशरण सिंह
 नुक्कङ नाटककार असगर वजाहत
5.1 –एंकाकी का विकास
 एंकाकीकार रामकुमार वर्मा
 एंकाकीकार उदयशंकर भट्ट
5.2- एकांकी
 सीमा रेखा (विष्णु प्रभाकर)
 यहाँ रोना मना है। (ममता कालिया )
HIN505EC
सेमेस्टर-3 में कोर्स संख्या- 505EC में तुलनात्मक अध्ययन में कंब रामायण तथा रामचरितमानस में से परीक्षा के लिए केवल दो कांड रहेंगे। अर्थात् कंब रामयाण से दो कांड एवं रामचरितमानस से दो कांड। ये दो कांड होंगे- बाल कांड एवं अयोध्या कांड। अर्थात् जिन युनिट्स में तुलना संबंधी अध्ययन करना है तथा टेक्स्ट का अध्ययन करना है उसमें इन्हीं दो कांडों में से प्रश्न पूछे जाएंगे। आप को इन्हीं कांडों की वस्तु तथा महत्व आदि की तुलना करनी है। 7, 4, तथा 3 प्रश्नों के उत्तर इन्हीं कांडों में से पूछे जाएंगे। जहां सैद्धांतिक मुद्दों का अध्ययन करना है तो प्रश्न पाठ्यक्रम में दिए मुद्दों के आधार पर पूछे जाएंगे। इन दोनों ग्रंथो के विषय में विस्तार से जानकारी अपेक्षित है परन्तु परीक्षा के लिए इतना ही हिस्सा तय किया गया है। अध्यापक अपनी तरफ से यह जानकारी दें अथवा विद्यार्थी स्वयं इसे प्राप्त कर सकते हैं।









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