जिन खोजा तिन पाइयां

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Thursday 28 July 2011

HIN 506
आपने अब तक विज्ञापन वाला लेख पढ़ लिया होगा। आज जिस तरह हमने वर्ग में विज्ञापन निर्माण की बात की उससे आपको यह समझ में आ गया होगा कि यह पूरी प्रक्रिया कितनी रोचक है। इस पूरी प्रक्रिया को अगर हम दुबारा याद करें तो-
सबसे पहले हमने एक कहानी पुस्तकालय में जा कर ढूँढी। निशी ने कुछ कहानियाँ ढूँढ़ी और उन कहानियों में से उसे प्रेमचंद की बड़े घर की बेटी अच्छी लगी। हमने इस कहानी में निहित संकल्पना को कैसे ढूँढ़ा जाए इसे जानने की कोशिश की। इस प्रक्रिया में निशी ने कहानी की मूल बातें बताई।
 आनंदी कहानी की नायिका
 बड़े घर की पुत्री, छोटे घर में ब्याही
 पति बाहर कहीं नौकरी करता है
 घर में ससुर तथा देवर
 देवर ने माँस खाने की इच्छा
 आनंदी ने माँस पकाया
 जितना था सभी घी का उपयोग
 खाने के समय देवर ने दाल में घी माँगा
 घी न होने की बात सुन कर भाभी को लाठी दिखाई
 ससुर से शिकायत की तो देवर का पक्ष लिया
 आनंदी ने बवाल मचाया
 पति के लौटने पर शिकायत
 पति ने घर छोड़ कर कहीं और जाने का निर्णय सुनाया
 आनंदी ने स्थिति को संभालते हुए कहा कि साथ रहने का संस्कार मिला है।
 बड़े घर की बेटी वही होती है जो परिवार को एक रखे।
अब इस कहानी में से आपको संकल्पना ढूँढ़नी है। संकल्पना ढूँढ़ने की प्रक्रिया यह है कि आप देखेंगे कि क्या वस्तु बदल देने से कोई फ़र्क पड़ता है?
 कहानी की नायिका आनंदी आनंदी के स्थान पर सुशीला भी हो सकती है।
 बड़े घर की पुत्री, छोटे घर में ब्याही एक ही स्तर के, अथवा छोटे घर की बड़े घर में
 पति बाहर कहीं नौकरी करता है स्त्री भी नौकरी कर सकती है
 घर में ससुर तथा देवर ससुर तथा देवर बेटे के साथ रह सकते हैं
 देवर ने माँस खाने की इच्छा किसी भीमहँगी चीज़ को खरीदने की बात
 आनंदी ने माँस पकाया हैसियत से अधिक खर्च करना

 जितना था सभी घी का उपयोग महिने की अर्थ-व्यवस्था डगमगा सकती है
 खाने के समय देवर ने दाल में घी माँगा देवर ने पैसे माँगे
 घी न होने की बात सुन कर भाभी को लाठी दिखाई न देने पर भला बुरा कहा
 ससुर से शिकायत की तो देवर का पक्ष लिया ससुर ने बेटे का पक्ष लिया
 आनंदी ने बवाल मचाया आनंदी को आपत्ति हुई
 पति के लौटने पर शिकायत पति से शिकायत
 पति ने घर छोड़ कर कहीं और रहने जाने का निर्णय पिता तथा भाई को घर से निकालने का निर्णय
आनंदी ने स्थिति को संभालते हुए कहा कि साथ रहने का संस्कार मिला है।
बड़े घर की बेटी वही होती है जो परिवार को एक रखे।
अब इस कहानी से जो संकल्पना निकल कर आती है वह यह कि
1- पारिवारिक एकता को टिकाए रखने के लिए छोटी बातों की अपेक्षा महद् मूल्यों की अधिक आवश्यकता है।
2-इस कहानी की मुख्य घटना माँस पकाने में घी के इस्तेमाल की है। अतः घी को ध्यान में रखते हुए आज के संदर्भ में कौन-सा विज्ञापन बन सकता है?
पहली बात को ध्यान में रखें तो इस पर से एक राष्ट्रीय एकता संबंधी विज्ञापन बन सकता है। आपसी भेद भाव मिटा कर एक बने रहना। जाति, धर्म भाषा के भेद भुला कर राष्ट्र को एक बनाए रखना। आपको इस संबंध में कॉपी राइटिंग करनी है। अब आप अपना टार्गेट ऑडियंस देखें। फिर प्रचारात्मक विज्ञापन है तो भाषा का एक अंदाज़ होगा। इस विज्ञापन में कुछ बेचना नहीं है परन्तु मूल्यों की स्थापना करनी है।
दूसरे मुद्दे में - कलह का कारण घी है। आज यूँ भी घी के प्रति लोगों के मन में आशंका है। अतः इस पर से आप किस उत्पाद का विज्ञापन बना सकते हैं ? तो नॉन-स्टिक बर्तन बनाने की कंपनी का। अगर आपको मुद्रित विज्ञापन बनाना है तो कैसे बनाएंगे और दृश्य-श्राव्य माध्यम में बनाना हो तो कैसे बन सकता है।
इसके दो तरीक़े हैं- एक में आप कहानी को भूल जाएं और संकल्पना पर काम करें। दूसरा तरीक़ा यह है कि कहानी को मॉडिफ़ाय करते हुए विज्ञापन बनाएं।
तो अब आप बना कर देखिए। अगली बार हम इसके संभवित कॉपी राईटिंग पर विचार करेंगे।





2 comments:

  1. मैडम,आप ने इस पोस्ट के द्वारा विज्ञापन केसे बनाया जा सकता हे,यह बहुत अच्छी तरह से समजाया हे,लेकिन मुझे एक बात समज में नहीं आई के,इस कहानी पर से राष्ट्रीय एकता संबंधी विज्ञापन केसे बन सकता हे ?

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  2. देखिए, भाभी तथा देवर दोनों के बीच विसंवादिता है. एक लाठी से बात करता है दूसरा पति(सत्ता) के भरोसे। परन्तु बाद में भाभी की समझदारी परिवार को टूटने से बचा ले जाती है। दो वर्गो, कौमों , दर्मों के बीच समझदारी अगर होगी तो राष्ट्रीय एकता संभव है। यही इसकी संकल्पना हो सकती है. आप कोशिश कीजिए, क्या बन सकता है विज्ञापन। फिर प्रत्येक कहानी में से हर तरह का विज्ञापन बने, यह ज़रूरी भी नहीं है. मेरी शुभकामनाएं है आपके लिए।

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